Particular | 2017-18 | 2018-19 | 2019-20 |
Income and Exp. | 3811563 | 3842863 | 3489708 |
ग्राम महुढाना- ग्राम पंचायत – चिरापाटला, जनपंद पंचायत- चिचोली, जिला बैतूल म0प्र0
ग्राम के सहभागी मुख्य व्यक्ति :-फोटोबाई, ग्राम सरपंच, बरातीलाल मर्सकोले, सचिव,
शीलाबाई धुर्वे, ग्रामदूत, संगीता आर्य, ऑगनवाडी कार्यकर्ता एवं यशोदा धुर्वे, सहायिका.
समूह संगठन के प्रयास से ग्राम महुढाना में पंचायत अनुसूचित क्षेत्रो में विस्तार) अधिनियम 1996 के अंतर्गत ग्राम सभा का आयोजन करवाया गया जिसमें SDM एवं ग्राम पंचायत प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
समस्त कार्ययोजनाओ के लिये समूह के द्वारा जनपंद पंचायत एवं ग्राम पंचायत को समूह के द्वारा आवेदन दिया गया।
समूह के माध्यम से प्रत्येक घर से स्वैच्छानुसार पैसे एवं अनाज (गेहू] चावल] तुअर] दाल] चना] कोदो] कुटकी) एकत्रित कर ऑगनवाडी केन्द्र में मिक्स खिचडी एवं मूंगफल्ली]मुरमुरे] गुड़ के लड्डू तैयार कर बच्चो को कुपोषण से बचाने हेतु खिलाया गया।
यह बीज औषधी वर्धक है एवं यह एक अनाज भी है] जो कम वर्षा में भी पैदा हो जाता है। भारत के विभिन्न भागो में इसकी खेती की जाती थी जहॉ आज के वर्तमान युग में धान] मक्का] गेहू जैसी आधुनिक फसलो के चलते हम अपने इस परम्परागत बीज कोदो] कुटकी की खेती बहुत कम मात्रा में कर रहे है।
यह ग्राम हरदा मार्ग में जनपंद पंचायत चिचोली से 30 कि.मी. दूर चिरापाटला के पास पष्चिम दिषा में स्थित है इस ग्राम में 2 जाति के परिवार निवास करते है। इस ग्राम मे पहले कोदो कुटकी का उत्पादन लगभग सभी किया करते थे पर आज के इस युग के नयी-नयी बदलती भोजन शैली के आधार पर बीजो का भी परिवेष बदला है जहा कोदो कुटकी की खेती की जाती थी वहा आज हम अन्य खाद्यानो की खेती करते है।
कोदो कुटकी की खेती पुनः करने के लिए ग्राम महुढाना में ग्रामीण विकास संस्था के द्वारा परम्परागत बीजो के संरक्षण को लेकर ग्राम बैठक का आयोजन किया गया जिसमें ग्राम के सभी किसानो ने अपनी सहभागीता की और बैठक में उन्हे बताया गया कि उनके परम्परागत फसल के उत्पादन से क्या लाभ है एवं विलुप्त होती इस फसल के लिए पुनः किसानो के इसके उत्पादन के लिए तैयार किया गया।
कुटकी का पौधा मूलतः मोटा अनाज व जंगली धास के नाम से जाना जाता है। इसकी धान से इसकी उचाई कम होती है एवं इसका बीज (दाना) वह भी गोल होता है। इसकी फसल वर्ष में सिर्फ एक ही बार वर्षा ऋतु के समय सितम्बर माह में तैयार हो जाती है। इसके लिए भूमि की अच्छी होना या ज्यादा मेहनत करने की कोई आवष्यकता नही होती है। इसे पकने से पहले ही काट लिया जाता है। इके बाद इसकी दावन की जाती है।
कुटकी का उपयोग चिकित्सीय रूप से भी किया जाता है।
कुटकी का सेवन गर्भवती माताओ के लिए अत्यन्त लाभकारी व इसके निरन्तर सेवन से बच्चो कुपोषित नही होगे एवं इससे मानव स्वास्थ्य पर कोई दुषप्रभाव नही होता है।
सुगर एवं वात] पशुओ के रोगो के लिए भी अत्याधिक फायदेमंद है, इसके प्रयोग से गलाइकोजन के रूप में खून में शुगर के संचय को रोक कर लीवर को फायदा पहुचाती है।
संस्था द्वारा स्थाई कृषि परम्परागत बीजो उत्पादन के लिए 15 ग्रामो में 125 किसानो को चिन्हित किया गया। व अभी वह स्थाई कृषि की शुरूआत की गई है। एवं सभी के द्वारा मिलकर एक स्थान पर सग्रहित करने का निर्णय किया गया।
ग्राम- अजई, ग्राम पंचायत, कुरसना, जनपंद पंचायत, चिचोली, जिला – बैतूल (म0प्र0), वर्ष – 2018
बैतूल जिला मुख्यालय से चिचोली विकास खण्ड से पष्चिम दिशा में लगभग 40 किलोमीटर दूर बैतूल हरदा मार्ग पर स्थित राजस्व ग्राम अजई है । इस गॉव में महिला 250 पुरूष 243 कुल जनसंख्या 493 है । जहॉ अनुसूचित जनजाति (कोरकू समुदाय) महिला 188, पुरूष 192 एवं पिछडा वर्ग (गौली समुदाय) महिला 62, पुरूष 51 है। ऑगनवाडी में दर्ज बच्चो की संख्या - 57 जिसमें 29 बालिका, 28 बालक व प्राथमिक शाला में दर्ज - 57 जिसमें 27 बालिका, 30 बालक है। ग्राम अजई में मकानो की संख्या - 79 है, एवं परिवारो की संख्या - 88 है। आदिवासी बाहुल्य ग्राम अजई में 88 परिवार निवासरत है । एक्षनएड परिवर्तन अभियान में ग्रामीण विकास संस्था चिचोली द्वारा कार्यक्षेत्र के 15 ग्रामों में आदिवासी समुदाय के अधिकार, महिलाओं के अधिकार, बच्चों के अधिकार, आदिवासी समुदाय के संस्कृति एवं पहचान, वंचित समुदाय (एकल महिलाए, निःशक्तजन, बच्चे ) के लिये सामाजिक न्याय हेतू प्रयास किया जा रहा है ।
ग्राम अजई में समुदाय के लोगो को रोजगार हेतु पलायन जाते थे। उनको ग्राम में स्थानिय रोजगार उपलब्ध नही होता था। जिसके कारण लोगो की आर्थिक स्थिती दयनीय रहती थी। ग्रामीण विकास संस्था द्वारा ग्राम अजई में बनाये गये समूह, समूह में आदिवासी एकतामंच व महिला संगठनो द्वारा ग्राम बैठक कर निर्णय लिया गया कि वे ग्राम अजई की समस्त समस्याओ को चिन्हित कर ग्राम का संसाधन एवं सामाजिक मानचित्र तैयार करगे और ग्राम विकास योजना (माईक्रोप्लान) तैयार करेगें।
ग्राम अजई में ग्राम बैठक में समूह, संगठनो के प्रयास से संसाधन व सामाजिक मानचित्र एवं माईक्रो प्लान तैयार किया गया, और 14 अप्रैल 2018 की ग्राम सभा में सर्व सम्मति से प्रस्ताव पारित करवाया गया।
ग्राम सभा में समुदाय के द्वारा माईक्रोप्लान प्रस्तावित।
समूह समूह द्वारा ग्राम सभा में लिया गया प्रस्ताव के आधार पर ग्राम स्तर पर 2 तालाबो का कार्य प्रारम्भ हुआ जिसमें 88 परिवारो में से 60 परिवारो को ग्राम में हि स्थानिय रोजगार उपलब्ध हुआ। जिसमें 142 महिला 65 पुरूष मजदूरो ने लगभग 270 दिनो का काम मिला जिससे उनकी आर्थिक स्थिती में सुधार आया एवं उनको प्रतिदिन 172रू का 290 दिन में 49880रू की कुल मजदूरी प्राप्त हुई।
ग्राम अजई में तालाब बनने से स्थानीय रोजगार उपलब्ध हुये और पशु पेयजल की सुविधा के साथ-साथ भूमि का जलस्तर भी बढा। जिससे महिला समूह द्वारा आगामी वर्ष में वर्षा अधिक होने पर मछली पालन करने का निर्णय लिया गया और समूह द्वारा यह भी निर्णय लिया गया कि यदि मछली पालन करेगे तो प्रति महिला बारी-बारी से उस तालाब की देख-रेख करने का निर्णय लिया गया।
ग्राम अजई में तालाब बनने से स्थानिय रोजगार समुदाय के लोगो को उपलब्ध हुआ जिससे पलायन के दिनो में कमी आई, महिलाओ, युवतियो के साथ पलायन के दौरान होने वाली हिन्सा से उनकी सुरक्षा हुई एवं पषुओ को वर्ष में 6 माह तक हि पेयजल उपलब्ध होता था। वर्तमान में तालाब बनने से पूरे वर्ष भर पषुओ को पषु पेयजल मिलने लगा।